Dilon ko jeetne ka shauk

Hindi Blog Tips

Tuesday, April 17, 2012

धरती का गम


धरती का गम छुपाने के लिए गगन होता है,
दिल का गम छुपाने के लिए बदन होता है,

मर कर भी कैसे छुपाओगे क़र्ज़ जिंदगी के,
इसी लिए हर लाश पर एक कफ़न होता है !

बिजलियाँ***


ख्वाब तो हमने भी देखा था आशियाने का,
वर्ना शौक हमको भी नहीं था इस वीराने का,

बसे बसाए नशेमन पर गिरेंगी ये बिजलियाँ,
दस्तूर ये मालूम नहीं था ज़ालिम ज़माने का !

जैसे तुमने वफ़ा की ख़ास कोई गुफ्तगू ना की,
और मैंने भी दिल की बात तुम्हारे रूबरू ना की,

बेसब्री से तुम भी तमाम उम्र ढूंढती रही मुझको,
मैंने भी तुम्हारे जाने के बाद कोई जुस्तुजू ना की !

"दो पल जिंदगी के"


किस हद तक जाना है यह कौन जानता है,
कैसे मंजिल को पाना है यह कौन जानता है,

दोस्ती के दो पल जिंदगी में प्यार से जी लो,
किस रोज़ बिछड़ जायेंगे यह कौन जानता है !

तुम्हारा दीदार


हर शाम हम तुम्हारा इज़हार करते रहे,
हर ख्वाब में तुम्हारा दीदार भी करते रहे,

दीवाने को तुम इस तरह छोड़ के चल दिए,
हर वक़्त हम मिलने का इंतज़ार करते रहे !

Monday, February 13, 2012

एहसास की सिरहन



साथ के एहसास की सिरहन कांपता हुआ ये बदन,
जाने आँखें क्यूँ मेरी बंद थी सांसें भी थी कुछ मंद !

चरागों की कतारें



मेरी आँखों के समंदर में जलन कैसी है,
दोस्तों के दिल तडपाने की लगन कैसी है,

अब किसी चाहत पे चरागों की कतारें नहीं,
फिर उन शहर की गलियों में घुटन कैसी है !

वफाओं के चिराग



कठिन सफ़र है मुहब्बतों का खराब रास्ते हैं सोच लेना,
छोड़ जाते हैं उस मुकाम पर जो साथ चलते हैं सोच लेना,

वह एक बस्ती जहां हम तुम मिले थे मिल के बिछड़े थे,
वहां अब भी मेरी वफाओं के चिराग जलते हैं सोच लेना !


कहाँ बसी हैं वह यादें उजड़ना है जिन्हें,
दिलों की बाँझ ज़मीन से ज़वाब पूछते हैं,

बरस पडीं तेरी आंखें तब यह भेद खुला,
सवाल खुद से भी अपना जवाब पूछते हैं!

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मेरी ज़िन्दगी


मुझे इस बात का गम नहीं कि तुम मेरी ज़िन्दगी से गयी हो,
पर मुझे इस बात की ख़ुशी है तुम मेरी ज़िन्दगी से जुडी हो !

कुदरत


काश ! कि कहीं कुदरत का यह निजाम हुआ करे,
उन्हें देखने के सिवा ना मुझे कोई काम हुआ करे !


बस चल दिए दामन छुड़ा के यूं बेगानों की तरह,
कम से कम हंस के मुझे अलविदा तो कहा होता !

Sunday, January 22, 2012

बदनसीबी***



फरेब था आँखों में आशिकी समझ बैठे,
मौत को ही अपनी ज़िन्दगी समझ बैठे,

वक़्त का मजाक था या बदनसीबी हमारी,
उनकी दो बातों को हम चाहत समझ बैठे !

Thursday, January 19, 2012

आंसू



मिलने आ एक बार चाहे मुझे बदनाम करदे,
यह चर्चा बेशक इस शहर में सारेआम करदे,

कुछ इस तरह से तू मुझे रुला के जा फिर से,
मेरी आँखों के हर आंसू को चाहे नीलाम करदे !

वक़्त



जब भी कोशिश की हमने जख्मों को भरने की,
वक़्त ने तब कुरेद कर दर्द को और बढा दिया,

बहुत चाहा हमने एक नई दुनियां बसाने की,
बहारों ने खुशियों को पास आने ही ना दिया !

धोखा दे जाते हैं



यह देखा हमने आज खुद पर आजमा कर,
धोखा दे जाते हैं लोग दिल के करीब आकर,

कहती है दुनियां पर यह मन नहीं मानता,
छोड़ जाओगे तुम भी हमें अपना बना कर !

निकाह




एक दोस्त ने कहा तू शादी किससे करेगा,
मैंने उससे कहा मैं शादी शुदा हूँ,
कहने लगा कौन है तेरा जीवन साथी,
मैंने कहा यादें हैं किसी की,
उसने पूछ किसने पढाया था निकाह,

मैंने कहा मुस्तक़बिल के खवाबों ने,
वो बोला कैसी गुज़र रही है ज़िन्दगी,
बोलने वाला था पर आंसू छलक पड़े,
वो बोला फिर उसे छोड़ क्यूं नहीं देता,
मैंने कहा हक-मेहर में मेरी ज़िन्दगी लिखी है !

मेरी हूर




तू मेरी हूर होती मैं भी होता तेरा खुदा,
जो मेरा पैमाना तू ना तोडती हर शाम,

मेरे हाथ दुआ को उठ भी नहीं पाए कि,
खुद हाथ मेरे वो जाम आ गया हर शाम,

तेरे वास्ते हम भी ताजमहल बनवा देते,
गर मेरे मज़ार पे आ गयी होती हर शाम !

दर्द भरी ज़िन्दगी



दर्द भरी ज़िन्दगी का सुराग ढूँढता हूँ,
अँधेरा बहुत है एक चिराग ढूँढता हूँ,

बनाया था तमाशा ज़िन्दगी का इस तरह,
कि उन मेहरबानों में इलाज ढूँढता हूँ,

कोई अंधेरों में मेरे दिल का चिराग जला दे,
मैं अपने बदनसीबी का राज़ ढूँढता हूँ,

हसरत का आइना पत्थर दिल ने तोड़ दिया,
शीशों के उन टुकडों में अपना आज ढूँढता हूँ,

माजी के तल्क लम्हों ने मुझे झुलसा दिया,
दिल को बहलाने का हसीन खवाब ढूँढता हूँ !