"Falak Ko Zidd Hai Jahan Bijliyaan Giraane Ki............. Hume Bhi Zidd Hai, Wahin Pe Aashiyaan Banane Ki........" तुम्हें जब मिले कभी फ़ुर्सत मेरे दिल से बोझ उतार दो,
मै बहुत दिनों से उदास हूं मुझे भी कोई शाम उधार दो....!
Dilon ko jeetne ka shauk
Sunday, January 22, 2012
बदनसीबी***
फरेब था आँखों में आशिकी समझ बैठे, मौत को ही अपनी ज़िन्दगी समझ बैठे,
वक़्त का मजाक था या बदनसीबी हमारी, उनकी दो बातों को हम चाहत समझ बैठे !
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