Dilon ko jeetne ka shauk

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Monday, May 3, 2010

दिल के अफसाने....


क्या कहें हम कैसे तुमसे दूर हो गए,
हालात से कुछ खुद से मजबूर हो गए,

मुहब्बत रुला देती है कब यह माना था,
अपने दिल के अफसाने यही दस्तूर दे गए,

मंजिल जिसे समझा बना वही मील का पत्थर,
नई मंजिल नए रास्ते सब मंज़र हो गए,

हद से बढ़ जाये जो गम वो देता नहीं दर्द,
मुस्कुरा रहे हें ऐसे हम रंजूर हो गए,

दिल तेरा रेज़ा रेज़ा है कैसे संभाले तुझको,
खुदाया कैसे यह हमसे कसूर हो गए........!!!