Dilon ko jeetne ka shauk

Hindi Blog Tips

Monday, February 13, 2012

एहसास की सिरहन



साथ के एहसास की सिरहन कांपता हुआ ये बदन,
जाने आँखें क्यूँ मेरी बंद थी सांसें भी थी कुछ मंद !

चरागों की कतारें



मेरी आँखों के समंदर में जलन कैसी है,
दोस्तों के दिल तडपाने की लगन कैसी है,

अब किसी चाहत पे चरागों की कतारें नहीं,
फिर उन शहर की गलियों में घुटन कैसी है !

वफाओं के चिराग



कठिन सफ़र है मुहब्बतों का खराब रास्ते हैं सोच लेना,
छोड़ जाते हैं उस मुकाम पर जो साथ चलते हैं सोच लेना,

वह एक बस्ती जहां हम तुम मिले थे मिल के बिछड़े थे,
वहां अब भी मेरी वफाओं के चिराग जलते हैं सोच लेना !


कहाँ बसी हैं वह यादें उजड़ना है जिन्हें,
दिलों की बाँझ ज़मीन से ज़वाब पूछते हैं,

बरस पडीं तेरी आंखें तब यह भेद खुला,
सवाल खुद से भी अपना जवाब पूछते हैं!

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मेरी ज़िन्दगी


मुझे इस बात का गम नहीं कि तुम मेरी ज़िन्दगी से गयी हो,
पर मुझे इस बात की ख़ुशी है तुम मेरी ज़िन्दगी से जुडी हो !

कुदरत


काश ! कि कहीं कुदरत का यह निजाम हुआ करे,
उन्हें देखने के सिवा ना मुझे कोई काम हुआ करे !


बस चल दिए दामन छुड़ा के यूं बेगानों की तरह,
कम से कम हंस के मुझे अलविदा तो कहा होता !