कहाँ बसी हैं वह यादें उजड़ना है जिन्हें,
दिलों की बाँझ ज़मीन से ज़वाब पूछते हैं,
बरस पडीं तेरी आंखें तब यह भेद खुला,
सवाल खुद से भी अपना जवाब पूछते हैं!
दिलों की बाँझ ज़मीन से ज़वाब पूछते हैं,
बरस पडीं तेरी आंखें तब यह भेद खुला,
सवाल खुद से भी अपना जवाब पूछते हैं!
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