Dilon ko jeetne ka shauk

Hindi Blog Tips

Sunday, October 26, 2008

यादगार "धनतेरस"



यही वह धनतेरस थी स्थान था स्काटलैंड (यूं के) 30-10-2005


जो कहा करते थे की कभी हम बेईमान नही होंगे,

उन्ही के ईमान को देखा आज हमने डगमगाते हुए,


जिन हाथों से उम्मीद थी फूल बरसाने की,

उन्ही हाथों को देखा आज पत्थर बरसाते हुए,


जिस वक़त पर नाज़ हुआ करता था कभी मुझे,

उसी वक़त को देखा रेत सा हाथों से निकल जाते हुए,


जिसने कहा था कि ये साथ नही छूटेगा अपना कभी,

उसी को देखा आज अपना दामन मुझसे छुडाते हुए,


{प्यार} की इन वफाओं का क्या सिला चुका पाओगी तुम,

जिसे देखा बेवफा बन के उस "खुदा" के घर जाते हुए........"प्रियराज"

Sunday, September 14, 2008

उमर भर का गम


आंखें भी वोही हैं दरीचा भी वोही है
और मन के आँगन में उतरता भी वोही है

जिसने मेरे जज्बों की सदाक़त को ना जाना,
अब मेरी रफाकात को तरसता भी वोही है ,

इस दिल के खराबे से गुज़र किस का हुआ है,
आँखें भी वोही है होंट भी लहजा भी वोही है

जो कुछ भी कहा था मेरी तनहाइयों ने मुझ से,
इस शहर की दीवार पे लिखा भी वोही है,

वोह जिस ने दिए मुझ को मुहब्बत के खजाने,
बादल की तरह आँख से बरसा भी वोही है,

साथ निभाने की कसमें खाई थी जिसने,
उम्र भर का गम दे के गया भी वोही है......!

Monday, September 8, 2008

*****दरिया के पार*****


मुद्दत से जिसके वास्ते दिल था बेक़रार,

वह लौट कर ना आयी मगर था इन्तज़ार,

***

जो हमसफ़र थी छोड गयी बीच राह में मुझे,

मैं फंस गया भंवर में वो थी दरिया के पार,

***

मन्ज़िल क़रीब आयी तब तुम दूर हो गई,

इतना तो तुम बताओ कि ये था कैसा प्यार,

***

दीवार बनादी किसी ने हम दोनों के दरमियां,

ना वो सुकून से बैठी ना मुझको था क़रार,

***

यह बात ही उमर भर समझ ना पाया मैं,

क्यूं था दिल मेरा उस बेवफ़ा का तलबगार ...

Monday, August 25, 2008

*********यादों के फूल*********



आओ यादों के फूल सजा ले हम,
कभी तुम याद आओ हमें कभी याद तुम्हे आए हम,

दिल की चौखट पर घावों ने किए हैं बसेरे,
कभी सहलाओं तुम कभी मरहम लगाए हम,

यूँ न मिलना हम से जैसे मिलते हों किसी अजनबी से,
कभी लगाना गले हमको कभी पहनाना हार बाहों के,

मेरे दिल पर आज भी हैं यादें उन मुलाकातों की,
कभी आना तेरा दहलीज पर मेरी कभी परदों से,

सनम न कटे अब इन्जेज़ार की यह घडियां,
यादों के फूलों से कैसे ज़िन्दगी गुजारे हम....

Friday, August 1, 2008

******दर्द की लहरें*******

एहसासों के समंदर में दर्द की लहरों पर,
आंसू बहने लगते हैं तेरी याद में,
तो दिल पूछता है मुझ से जिंदगी तू कौन है,
जब दिल को तोड़ कर मुझ को ठुकरा कर,
दिलबर इस दिल को हज़ार ज़ख्म देता है,
तो दिल पूछता है मुझ से जिंदगी तू कौन है,
तरसती आंखों को बेचैन दिल को,
जब वो तड़पा जाता है मुझे,
मोहब्बत का जब कोई अंजाम नही मिलता,
तो दिल पूछता है मुझ से जिंदगी तू कौन है,
हम ने तो जाना था जिंदगी खूबसूरत है,

जिंदगी एक सुहाना सपना है,
जिंदगी मोहब्बत का दूसरा नाम है,
जब हकीकत में कुछ नही मिलता,

तो दिल पूछता है मुझ से जिंदगी तू कौन है,
जिंदगी क्यों आती हो तुम हर बार,

कोई नया नाम लिए हर बार चली आती हो तुम,
जाना है कहाँ तुझे अब तू बता जिंदगी तू कौन है?

****गुजरा हुआ जमाना****


जो कह न सके वो फसाना याद आता है,
गुज़रा हुआ दिलकश जमाना याद आता है,


जब हुस्न से इश्क टकराया था कभी,
घायल हुआ था एक परवाना याद आता है,


दिल से मोहब्बत के तूफ़ान उठे थे,
जब आंखों का सपने सजाना याद आता है,


कस्तूरी जैसे दिन महकते थे,
मेरे रातों का गुनगुनाना याद आता है,


आंखों का मिल कर झुक जाना नहीं भुला,
होठों का थर-थराना याद आता है,


मेरा उसको कनखियों से देखना,
बार बार और उसका वो मुस्कुराना याद आता है,


रातों को तनहा याद में किसी की ( ...),
धुआं उडाता एक दीवाना याद आता है

Tuesday, July 8, 2008

+++++चोट खाए हुए हैं+++++

चले थे दिलों को जीतने पर.........!!
इश्क में हम तुम्हे क्या बताये किस कदर चोट खाए हुवे है,

मौत ने हम को मारा है और हम जिंदगी के सताए हुवे हैं ,

पहन कर शादी का जोड़ा उसने सिर्फ़ चूमा था मेरे कफ़न को,
बस उसी दिन से जन्नत की हूरें मुझको दूल्हा बनाये हुवे है,

सुर्ख आंखों में काजल लगा है रुख पे घज़ा सजाये हुवे है,
ऐसे आए है मय्यत पे मेरी जैसे शादी में आए हुवे है,

अहले हद अपनी मट्टी से कहदे दाग लगने नपाये कफ़न को
आज ही हमने बदले है कपड़े आज ही हम नहाए हुवे हैं,

बिखरी जुल्फें परेशान चेहरा अश्क आँखों में आए हुवे है,
ए काजल ठहर जा चंद लम्हे वोह इबादत को आए हुवे है,

दफ़न के वक्त सब दोस्तों ने यह चुकाया मोहब्बत का बदला,
फैक दी ख़ाक मेरे बदन पर यह न सोंचा नहाय हुवे है,

उनकी तारीफ़ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरी ऐसे,
मासूमियत से है बैठे ऐसे जैसे की गंगा में नहाए हुवे है,

जिंदगी में न रास आई राहत चैन से अब सोने दो कफ़न में,
ए फरिश्तो तुम तो न मारो हम तो इस जहाँ के सताए हुवे है,

खोयी खोयी सी बेचैन आँखे बेक़रारी है चेहरे पे छाई,
छोड़ दो देना झूठी तसल्ली इश्क की चोट खाए हुवे है ........

Tuesday, June 17, 2008

**********सफर**********


मैं एक मुसाफ़िर मन्ज़िल की तलाश में भटक रहा हूं,
*
एक तन्हा सा सफ़र है जिस पर मैं चल रह हूं,
मुझे हमसफ़र का पता नही ना मन्ज़िल का ठिकाना
**
एक अजीब सी कश-म-कश में मैं चला जा रहा हूं,
ज़िन्दगी भी अब तो साथ छोडती नज़र आ रही है,
***
फिर भी मैं चलता जा रहा हूं यह कैसा सफ़र है,
जिसका ना कोई ठिकाना बस तन्हा चला जा रहा हूं,
****
कह्ते क्यूं हैं लोग इस वीरान सफ़र को मोहब्बत,
यह मुझ को पता नही फिर भी मैं चला जा रहा हूँ

Saturday, June 14, 2008

*******रहम कर*******


तेरी आंखों की गहराई में आज डूब जाने दे,


जो ना कह सका लफ़्ज़ों में आंखों से बताने दे,
जरूरी नहीं कि सभी ख्वाहिशें पूरी हों मेरी,

***

पर हसरत है क्या मेरी अब मुझको जताने दे,
कब शुरु हुआ था आंखे चुराने का सिलसिला

***

पहली दफ़ा नज़रों से तेरे मुझे निगाह मिलाने दे,
तेरी पायल की आवाज गूंजती कानों में रात भर,

***

कि आज चुपके से मुझे उनके घुंघरू हटाने दे !
इन रेशमी बालों ने सताया है ख्वाबों में मुझे,

***

आज हक़ीकत में मुझे ज़रा उनको संवारने दे,
गम सहने की आदत खुद को डाली है हमने,

***

दे तेरे गमों को सारे उन्हे मुझमें समाने दे,
खुशियों को मैने संजोया है आज तक तेरे लिये,

***

सभी खुशियों को मेरी मुझे तुझ पर लुटाने दे,
माफ़ करना मेरे मौला मुझे हट गया हूं मक्सद से,

***

ताकत दे मुझे आज मेरे जज्बात उनको सुनाने दे,
इस पार से उधर का मंज़र दिखता है हसीन बडा,

रहम कर मुझ पर कि मुझे उस जानिब तो आने दे !

Wednesday, June 11, 2008

********* प्यार की कीमत *********

मैंने उसको सलाम लिख भेजा,
हाल-ए-दिल तमाम लिख भेजा ।
*
मैंने पूछा तेरे होठ कैसे हैं,
उसने एक लफ़्ज "जाम" लिख भेजा।
*
मैंने पूछा तेरे बाल कैसे हैं,
उसने कुदरत का इनाम लिख भेजा।
*
मैंने पूछा कब होगी मुलाकात,
उसने कयामत की शाम लिख भेजा।
*
मैने पूछा इतनी तडफ़ती क्यों हो,
उसने जवानी का इन्तकाम लिख भेजा।
*
मैंने पूछा तेरे खुद-ओ-ख्याल कैसे हैं,
उसने तो हुशन तमाम लिख भेजा।
*
मैंने पूछा तुझे नफ़रत किस से ,
ऐ - खुदा उसने मेरा ही नाम लिख भेजा
***
जलने के अलावा चारा नहीं
*
गरमी-ए-हसरत के नाकाम से जलते हैं,
हम चिरागों की तरह हर शाम से जलते हैं
*
जब आता है नाम तेरा मेरे नाम के साथ,
न जाने कितने लोग हमारे नाम से जलते हैं

***********ज़ख्म***********

बस इतनी सी इनायत मुझ पे एक बार कीजिए,
कभी आ के मेरे ज़ख्मों का दीदार कीजिये।
***
हो जायें बेगाने आप शौक से सनम,
आपके हैं आपके रहेंगे एतबार कीजिये।
***
पढने वाले ही डर जायें देख कर इसे,
किताब-ए-दिल को इतना ना दागदार कीजिये।
***
ना मजबूर कीजिये कि मैं उनको भूल जाऊं,
मुझे मेरी वफ़ाओं का ना गुनाहगार कीजिये।
***
इन जलते दीयों को देख कर न मुस्कुराइये,
जरा हवाओं के चलने का इन्तज़ार कीजिये।
***
गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हें उनको खबर कर दो,
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं
***
बहारों के ही बस आशिक नहीं ये जान लो,
ख़िज़ाँ के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं

*******उनके आने की उम्मीद*******

उनके आने की जब कोई उमीद नहीं बाकी,
फ़िर क्यों देहलीज पर शमा जलाए बैठी हैं।
+++
इक तुम ही नहीं जिसने हमें भुला दिया,
इक वो हम भी हैं जो खुद को भुलाए बैठे हैं।
+++
तुम्हें भूलने की कोशिश तो बहुत करते हैं हम,
पर याद उस ही की दिलाते हैं यह ही लोग।
+++
वही लोग तो कहते हैं मुस्कुराते रहो हरदम,
फ़िर जिकर उसका ही छेडकर रुलाते हैं ये लोग।
+++
पहले तो कहा मुझसे कि ये रास्ता बहुत ठीक है,
हम चले तो हर कदम पे उंगलियाँ उठाते हैं ये लोग।
***
बहुत इंतजार किया उनका
***
सबने जवाब दिये अपना कलाम किसी ने ना लिखा,
चन्द इशारों में अपना सलाम किसी ने ना लिखा।
+++
खुद को कोसें कि या गैरों को इल्ज़ाम दें हम,
मुझ को अपना पयाम किसी ने ना लिखा।

Sunday, June 8, 2008

***********ख्वाब************


बरसों के बाद देखा एक शख्स दिलरुबा सा,
अब ज़हन में नही है पर नाम था भला सा,
***
अल्फाज़ थे के जुगनू आवाज़ के सफर में,
बन जाए जंगलों में जिस तरह रास्ता सा
***
खवाब में ख्वाब यादों में याद उसकी ,
नींदों में घुल गया हो जैसे के रतजगा सा ,
***
पहले भी लोग आए कितने ही ज़िंदगी में ,
वो हर तरह से लेकिन औरों से था जुदा सा ,

तेवर थे बेरुखी के अंदाज़ दोस्ती का ,
वो अजनबी था लेकिन लगता था आशना सा ,
***
कुछ ये के मुद्दतों से हम भी नही थे रोये ,
कुछ ज़हर में बुझा था अहबाब का दिलासा,
***
फिर यूं हुआ की सावन आखों में आ बसे थे,
फिर यूं हुआ के जैसे दिल भी था आबला सा,
***
अब सच कहें यारों हम को ख़बर नही थी,
बन जाएगा क़यामत एक वाकया ज़रा सा......

Saturday, June 7, 2008

*****हमसफ़र ना सही*****

"गुडिया"
हमसफ़र न सही दोस्त तो हो न
हाँ कहकर देदो मेरे दिल को सकूं
+++
टीस चल रही है रगों में घुन
जालिम ना करवाओ अब इंतज़ार
+++
कह्दो के किया है तुमने भी कभी मुझसे प्यार
हमसफ़र ना सही हवा बनकर तो छू जाओ
+++
तुम क्या जानो कितना मुश्किल है आंसू को छुपाना
मुस्कुरा के सब को एक झूठ बताना
+++
तेरे ही खातिर लिया है यह क़दम
एक बार कह दो के हम भी तुम्हारे थे कभी सनम
+++
हमसफ़र ना सही याद बनकर जिंदगी में रह जाओ
दिल तुमने तोडा नहीं लेकिन फिर भी टूट ही गया
+++
जैसे कोई अपना हमेशा के लिए रूठ गया
वापिस तो अब कभी आने नहीं वह हसीं पल
+++
एक बार कह दो के तुम भी कभी याद करोगे कल
हमसफ़र ना सही दोस्त बन कर साथ देना
+++
दोस्त ना सही अजनबी बनकर ही बात करना
माँ जैसे प्यार के गीत से ही..................करना

*********तन्हाई*********


जिधर भी देखता हूँ तन्हाई नज़र आती है
आपके इंतज़ार में हर शाम गुज़र जाती है

मैं कैसे करूँ गिला दिल के ज़ख्मों से हुज़ूर
आंसू छलकते हैं मेरी सूरत निखर जाती है

तोड़ दिए हैं मैंने अपने घर के सारे आईने
मेरी रूह मेरा ही चेहरा देख के डर जाती है

रो के हलके हो लेते हैं ज़रा से तेरी याद में
ज़रा सी ना-मुरादों की तबियात सुधर जाती है

असर करती यकीनन गर छू जाती उनके दिल को
अफ़सोस के आह मेरी फिजाओं में बिखर जाती है

जब भी जिकर आता है तेरे नाम का
शाम की पी हुई सर-ऐ-शाम ही उतर जाती है

कभी आ के मेरे ज़ख्मों से मुकाबला तो कर
ऐ खुशी तू मुहँ छुपा के किधर जाती है

तुझे इन्ही काँटों पे चल के जाना है
उनके घर को बस यही एक रहगुज़र जाती है .......

Thursday, June 5, 2008

*******जमाने से छुपा लूँ*******


दिल तो कहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझ को ,
दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को

कोई अहसास जुदाई का न रहने पाये इस तरह ,
ख़ुद में मेरी जान समा लूँ तुझ को

तू जो रूठे कभी मुझ से मेरे दिल के मालिक,
सारी दुनिया से खफा हो के मना लूँ तुझ को

जब भी देखूं तेरे चेहरे पे उदासी का समान ,
यही चाहूँ के किसी तरह हंसा लूँ तुझ को

तू जो थक हार के लौटे तो यही ख्वाहिश है ,
अपनी पलकों की छाओं में सुला लूँ तुझ को

Wednesday, June 4, 2008

*******नजर लग गई*******


कभी वह सिर्फ़ हम पर ही मरती थी,
बे पनाह मुझे मोहब्बत किया करती थी।
***
जाने किस की नज़र लग गई उस रिश्ते को,
वह फ़िर तो अब मेरे नाम से ही डरती थी।
***
बेवफ़ा कहें उसे या फ़िर वक़्त की मेहरबानी,
वह चली गई जो हर वक़्त दिल में रहती थी।
***
हमारा क्या है यह ज़िन्दगी हम तो गुजार लेंगे,
यह दिल तो बस उनके लिये ही फ़िक्र करता था।
***
वह मासूम नहीं बीमार-ए-दिल से मज़बूर थी,
ज़ो शायद हमसे बेह्तर की तलाश करती थी।
***
यह तो वक़्त बतायेगा किसकी मंज़िल कहां है,
इस तरह वह शख्स शायद हक़ीक़त से डरती थी।
***
इस वीरानी में भुलाये से भी नहीं भूलते हैं वह दिन,
कोई जब "प्रियराज" को अपनी ज़ान कहा करती थी।

(प्रिया जी से साभार)

Sunday, June 1, 2008

*******सबब प्यार का*******


कितने प्यार से उसने मुझको भुलाया होगा ,
मेरी यादों ने उसे खूब रुलाया होगा ,

बात-बे-बात आँख उसकी जो छलकी होगी ,
उसने चेहरे को बाजुओं में छुपाया होगा ,

सोचा होगा उसने दिन में कई बार मुझे ,
नाम हथेली पर भी लिख लिख कर मिटाया होगा ,

जहाँ उसने मेरा जीकर सुना होगा किसी से ,
उसकी आंखों में कोई आंसू तो आया होगा ,

रात के बीतने तक नींद न आई होगी तुझे ,
तूने तकिये को भी सीने से लगाया होगा ,

हो के निढाल मेरी यादों से तुने जान ,
मेरी तस्वीर पर सर अपना टिकाया होगा ,

पूछा होगा जो किसी ने तेरी हालत का सबब ,
तूने बातों में खूब उससे छुपाया होगा...!

*********सब याद आया*********


जब भी प्यार करते किसी को देखा हमने,

ना जाने क्यूं तुम्हारा हमारा मिलना याद आया


वो जंगल वो दरख्त वो रास्ते वो खामोशी,

जहाँ मिले थे हम तुम वो सब याद आया!


हुई थी शुरुआत जो अपने प्यार की,

जाना वो क़समें वह वादे वह सब याद आया!


चांदनी रात मैं वह तन्हा अपना मिलना,

वो रूठना मानना वह सब याद आया!


तन्हाई के दुवार पे जो बैठे थे हम,

दबे पाव तुम्हारा आना वह सब याद आया!


इक मुद्दत बाद हुआ मैखाने से गुज़रना,

सघर वह टुटा हुआ कांच वह जाम वह सब याद आया!

(प्रिया जी से साभार)

Saturday, May 31, 2008

*******आइना*******


आइना हूं मैं मेरे सामने आ कर तो देखो,

खुद ही नज़र आओगी जो आंख मिला कर देखो।


मेरे ग़म में मेरी तकदीर नज़र आती है,

डगमगा जाओगी मेरा दर्द उठा कर तो देखो।


यूं तो आसान नज़र आता है मन्ज़िल का सफ़र,

कितनी मुश्किल है मेरी राह इसमें जाकर देखो।


बज़्म का मेरी चरगाहं है नज़र का धोखा,

किन अंधेरों में भटकता हूं मैं आकर तो देखो।


दिल तुम्हारा है मैं ये ज़ान भी दे दूं तुम पर,

बस मेरा साथ जरा दिल से निभा कर तो देखो।


मौत पर हक़ है मगर तुम से वादा है मेरा,

लौट आउंगा कब्रसे एक बार बुला कर तो देखो।

Thursday, May 29, 2008

***तेरा "हमसफ़र" कहां है***



ये चिराग बेनज़र है या फ़िर सितार बेज़ुबान है,

अभी तुमसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहां है।


शख्स जिसपे अपना दिल-ओ-जान निसार कर दूं,

वो अगर खफ़ा नहीं है तो फ़िर ज़रूर बदगुमान है।


कभी पा के तुमको खोना कभी खो के तुमको पाना,

ये जन्म-जन्म का रिश्ता तेरे मेरे ही दरमियान है।


मेरे साथ ना चलने वाले तुम्हे क्या मिला सफ़र में,

वही दुख भरी ज़मीन और वही गमों के असमान हैं।


मैं इसी गुमान में वर्षों तक बडा मुतमीन रहा हूं,

तुम्हारा दिल बेतागयुर है मेरा प्यार जीवनदान है।


उन्ही रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे,

मुझे रोक के लोग पूछ्ते हैं तेरा हमसफ़र कहां है।

******सपने किसी के लिए******

मत देखो सपने किसी के लिये इस कदर,

ज़ब टूट जाये तो फिर इसका दुख न हो,
मत चाहो दिल से कभी किसी को इस कदर,

वह रूठ जाये तो मनाने वाला कोई ना हो,
न मांगो किसी को इस कदर दुआओं में,

वो न मिले तो रुसवायी के सिवा कुछ न हो,
कभी देखो न किसी को ऐसी नज़रों से,

ज़ब वो जाये तो देखने वाली कोई नज़र न हो,
ना बसाओ किसी को अपने दिल की नगरी में,

वो रुख्सत हो तो दिल की दुनियां आबाद ना.....हो

Tuesday, May 27, 2008

+++++खूबसूरती क्या है+++++

मैने खुदा से पूछा कि खूबसूरती क्या है? तो वो बोले :-
ख़ूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है
खूबासूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए

ख़ूबसूरत वो दिल जो किसीके दुखमे शामिल हो और
किसीके प्यार के रंग मे रंग जाए

ख़ूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे
ख़ूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो

ख़ूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार के किस्से
ख़ूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने खूबसूरत ख्वाब समा जाएं

ख़ूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाएं

ख़ूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएं
ख़ूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल हो।

Monday, May 26, 2008

*****वह अब बदल गए हैं*****


इन रातों की तन्हाईयों के सब रंग बदल गये हैं,
चांद निकला है वैसे ही मेरे अन्धेरे बदल गये हैं।

जिनके भरोसे थी खुशियां अब वो बदल गये है,
मन्ज़िले तो अभी वोही हैं कुछ रास्ते बदल गये हैं।

जिनपे किया था भरोसा हमने वो दोस्त बिछड गये हैं,
देखे थे कभी जो हमने अब वो खवाब बदल गये हैं।

जो बने थे कभी हमसफ़र आज वो ही मुकर गये हैं,
मेरे टूटे हुये दिल के अब सभी जज़्बात बदल गये है।

ना बदला मैं ना बदलूंगा "उनके" लिये ख्यालात कभी,
बस रोना है यही अब 'राज' से कुछ लोग बदल गये हैं।

Sunday, May 25, 2008

*****बरस जाओ एक दिन*****




मैं ख़ुद आता नही पर एक शायरी जगत की हस्ती द्वारा लाया गया हूँ
चहरे पर मेरे जुल्फ को फैलाओ किसी दिन
क्या रोज़ गरजते हो बरस जाओ किसी दिन

किसी शब दास्तक पे हाथ की खुल जाओ किसी दिन
पेडों की तरह हुश्न की बारिश मे नहा लूँ

बादल की तरह झूम के घिर आओ किसी दिन
खुश्बू की तरह गुजरो मेरे दिल की गली से

फूलों की तरह मुझ पे बिखर जाओ किसी दिन
फिर हाथ को खैरात मिले बंद-ऐ-काबा की

फिर लुत्फ़-ऐ-शब-ऐ-वस्ल को दोहराओ किसी दिन
गुजर ऐ इन जो मेरे घर तो रुक जाए सितारे

इस तरह मेरी रात को चमकाओ किसी दिन
मैं अपनी हर इक साँस उसी रात को दे दूँ

सर रख के मेरे सीने पे सो जाओ किसी दिन ......

Thursday, May 22, 2008

+++++एक दिलरुबा+++++

एक दिल रुबा है मेरी उस बस्ती में अभी तक,
जो बोझ मुझे अकेले ढोने नहीं देती,
मैं हूँ कि बहाता हूँ उसकी याद में आंसू,
और वो है कि आंखों को पिरोने नहीं देती,
वो चेहरा अजब है जिसे पाकर मैं अभी तक,
खोना भी चाहूँ तो वो खोने नहीं देती,
थामे है लहरों की हुश्न-ऐ-बाग़ कोई तो,
साहिल को समंदर में डुबोने भी नही देती
"प्रियराज"


तुम्हे भी चार उठायेगे

+++डोली और फूल+++
मेरे घर से भी एक डोली उठेगी ,
तुम्हारे घर से भी डोली उठेगी,
मुझे भी चार उठायेगे,
तुम्हे भी चार उठायेगे,
पर फर्क सिर्फ़ इतना होगा के
तुम्हे तुम्हारे सगे उठायेगे ,
और मुझे मेरे चार यार
मुझ पर भी फूल बिखारेगे,
और तुम पर भी फूल बिखारेगे ,
पर फर्क सिर्फ़ इतना होगा के तुम पर
बिखरे हुए फूल मुस्कुराते होंगे,
और मुझ पर बिखरे हुए फूल रोते होंगे,
तुम्हारे जाने पर भी लोग रोएंगे,
और मेरे जाने पर भी लोग रोएंगे,
पर फर्क सिर्फ़ इतना होगा के तुम,
घर छोड़ कर जा रही होगी,
और मैं दुनिया छोड़ कर जा रहा हूँगा