Dilon ko jeetne ka shauk

Hindi Blog Tips

Wednesday, November 18, 2009

जल गया आशियाँ......!!



मेरी सादगी ही मेरा जुर्म है कोई और मेरी खता नही,

मैंने तो चाहा था सदा तुमको यह भी मेरी खता नहीं,


जाने कैसी अब हवा चली है रही दोस्ती में वफ़ा नहीं,

यहाँ जल गया मेरा आशियाना अभी बादलों को पता नहीं,


तेरे दर पर दस्तक दे सकूं यह हक़ तुमने दिया नहीं,

मैं राही हूँ राहें उम्मीद का मुझे मंजिलों का पता नहीं,


बेबस हूँ जहाँ में इस कदर जैसे इस जहाँ में मेरा कोई नही,

मेरी सादगी मेरा जुर्म है कोई और मेरी खता नहीं....!


Monday, October 12, 2009

***तुम्हारी फितरत***


समाझ नुझे खिलौना यूँ मेरा दिल तोडा,

पहले बसाया दिल में अब तनहा कयूं छोड़ा,


अगर खेलना था मुझसे पहले ही बताया होता,

पल भर की खुशी दे के क्यूं गम से नाता जोड़ा,


दिलों को कत्ल करना अगर फितरत थी तुम्हारी,

शायद तुम्हारी ज़िन्दगी में बन गया था रोड़ा,


आज बेवफा कहूं तुम्हें या कह दूँ बदगुमानी,

मैं जब जी रहा था तन्हा क्यूं रास्ता मेरा मोडा,


इतना न इतराओ तुम अपने उस "प्यार" पर,

ख़ुद तुम टूटोगी ऐसे जैसे "नसीब" किसी ने फोड़ा,


तुम रोओगी हर पल तब मुझको याद कर के,

सोचोगी तब यह कि क्यूं "राज़" को मैंने छोड़ा..!!

Thursday, August 6, 2009

बेवफा जिंदगी




पास रह कर जुदा सी लगती है, ज़िन्दगी अब बेवफा सी लगती है,
में तुम्हारे बगैर ही जी लूँगा,ये दुआ बद दुआ सी लगती है,

नाम इस का लिखा है आँखों पर, आँसू की खता सी लगती है,
वोह अभी इस तरफ़ से गुजरी है, ये ज़मीन आसमान सी लगती है,

प्यार करना ही जुर्म है शायद, आज दुनिया खफा सी लगती है,
ज़िन्दगी एक खौफ सा तारी है, तेरी यादों का एक अजाब सा जारी है,

भुलाना तुझे इस कदर नही है आसन, एक उमर तेरे नाम पे गुजारी है,
थक कर बैठा है यहाँ कौन भला, ख्वाहिशों का सफर अभी जारी है,

लग कर दीवार से निढाल सा बैठा,
वोह जिस ने रो रो कर रात गुजारी है...


Sunday, July 5, 2009

***मेरी कब्र***


मेरी कब्र पे आके तुम आवाज़ नहीं करना


दर्द की नई दास्ताँ का आगाज़ नहीं करना,
अपनी बेबस्सी को खुद ही बयान करेगी यूं,


चेहरे को किसी आईने का मोहताज नहीं करना,
राज़ जो खुद से ही ना छिपा पाओगी तुम,


ऐसे राज़ मे किसी को हमराज़ नहीं करना,
नामुमकिन है हकीकत के आसमान मे उड़ना,


खाबों के सहारे इसमें परवाज़ नहीं करना,
ज़ख्म फिर ज़ख्म हें इक रोज़ भर जायंगे,


हुश्न वालों को इनके चारासाज़ नहीं करना,
खाख से बनी हो खाख मे मिल जाओगी,


कभी भूले से भी खुद पे नाज़ नहीं करना....!



Friday, June 5, 2009

*******गुमनामी की ज़िन्दगी*******


गुमनामियों मे रहना नहीं है कबूल मुझको,
चलना नहीं गवारा बस साया बनके पीछे,

वोह दिल मे ही छिपा है सब जानते हैं लेकिन,
क्यूं भागते फ़िरते हैं दायरो-हरम के पीछे,

अब “दोस्त” मैं कहूं या उनको कहूं मैं “दुश्मन”,
जो मुस्कुरा रहे हैं खंजर छुपा के अपने पीछे.....!!


Thursday, May 7, 2009

***जनाज़ा****


जब जनाज़ा उठाया जायेगा मेरा उदासी का मंज़र होगा,

कब्र ही मेरी मंज़िल होगी और कब्र ही मेरा घर होगा,



फिर डाल देंगे कब्र में मुझे और मिट्टी में सुला देंगे,

ऐसे होंगे मेरे चाहने वाले मेरे आखरी वक़्त में ये सिला देंगे,


सब रिश्ते दुनियां तक के ही हैं कोई साथ निभाता नहीं,

भूल जाते हैं कुछ ही दिनों में कोई मिलने आता नहीं........

Monday, May 4, 2009

*****झील की गहराई*****


ख़ुद अपने लिए बैठ कर सोचेंगे किसी दिन,

यूँ है के तुझे भूल के देखेंगे किसी दिन,


बैठ के ही फिरते हैं कई लफ्ज़ जो दिल मैं,

दुनिया ने दिया वक्त तो लिखेंगे किसी दिन,


जाती है किसी झील की गहराई कहाँ तक,

आँखों में तेरी डूब कर देखेंगे किसी दिन,


खुसबू से भरी शाम मैं जुगनू के कलम से,

इक नज़्म तेरे वास्ते लिखेंगे किसी दिन,


सोयेगे तेरी आँख की खुलावत मैं किसी रात,

साए में तेरी जुल्फ के प्रियराज जागेंगे किसी दिन .......


Thursday, April 23, 2009

हसीन ख्वाब...........!!!


कह गया एक हसीन यह रात मेरे ख्वाबो में आकर,
करता हूँ मोहब्बत तुझसे और सिर्फ मरता हूँ तुझपे,

आइना-ए-दिल में तस्वीर रहती है तेरी ही ए-हमनशीं,
जो सोचता हूँ ख़त लिखने की ग़ज़ल लिख जाता हूँ तुझपे,

आँखें खुलते ही कहीं भूल ना जाना मुझको ए-पर्दानशीं,
मैं वो सावन की बारिश हूँ जो बरसूँगा सिर्फ तुझपे,

जो आ गया सामने कभी तो कैसे पहचानेगी तू मुझ को,
इसलिए बदन की खुसबू अपनी छोडे जा रहा हूँ तुझपे,

अपने सीने से लगाए रखना आँखों में बसाये रखना,
ना तोड़ना कभी दिल मेरा इतना एहसान करना मुझपे,

आज ख़्वाबों में आया हूँ कल जिंदगी में भी आऊंगा,
मैं हूँ सिर्फ तेरा दिल-ओ-जान जो लुटा बैठा हूँ तुझपे,

आज जा रहा हूँ सिर्फ इज़हार करके इकरार के इंतज़ार में,
कल रात फिर आ कर मोहब्बत अपनी बिखराऊंगा मैं तुझपे...

Saturday, April 4, 2009

***यह हाल तुम्हारे बाद हुआ***

स्वर्गीय श्रीमती शकुन्तला जी
(14 नवम्बर, 2005)
किस से कहें और कौन सुने, जो हाल तुम्हारे बाद हुआ,
इस झील सी नीली आँखों में, एक खवाब बहुत बर्बाद हुआ,
*
ये हिजर हवा भी दुश्मन है, उस नाम के सारे रंगों की,
वोह नाम जो मेरे होंटों पे, खुशबू की तरह आबाद हुआ,
**
इस शहर में कितने चेहरे थे, कुछ याद नहीं सब भूल गए,
एक शक्स किताबों जैसा था, वोह शख्स ज़ुबानी याद हुआ',
***
वोह अपने शहर की गलियां थीं, जिन में मैं नाचता गाता था,
अब इससे भी फरक नहीं पड़ता, न-शाद हुआ के सहाद हुआ,
****
बे नाम सतायाश रहता था, इन गहरी सांवली आँखों में,
ऐसा तो कभी सोचा ही न था, दिल जितना अब बे-दर्द हुआ......!!

***आँख जब अश्क बहाए***


आँख जब अश्क बहाए तो मुझे लिख देना,
जब मेरी याद सताए तो मुझे लिख देना,
*
कोई सावन की घटा जब तेरी छत पे आके,
आग सी दिल में लगाये तो मुझे लिख देना,
**
शब् के सन्नाटे में जब टूटा हुआ दिल कोई,
दर्द का गीत सुनाये तो मुझे लिख देना,
***
हाथ फिर देखना अपने शब्-ऐ-तन्हाई में,
उसकी हर रेखा बुलाये तो मुझे लिख देना,
****
ऐ मेरी जान-ऐ-जहाँ तेरी वफ़ा के मोती,
भीगी पलकें जो लुटाएं तो मुझे लिख देना,
*****

कोई मुंह ज़ोर हवा जब हमारी उल्फत की याद,

दिल से सारे नक्श मिटाए तो मुझे लिख देना....

Saturday, March 28, 2009

दिल टूट कर........


उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है
***
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर,
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है,
***
उसके साथ आज सारी महफिल है ,
अब ज़माना भी उसके साथ है,
***
आज मैं तन्हा हूँ, अब मैं अकेला हूँ,
बस रुसवाईया ही मेरे साथ है...... .

Sunday, March 1, 2009

*****अमिट यादों के पल*****

***एक अमिट यादों के पल***
सजा को मेने रजा पे छोड़ दिया,
हर एक काम मेंने खुदा पे छोड़ दिया,
*
वोह मुझे याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था उसी की रजा पे छोड़ दिया,
**
उसी की मर्ज़ी बुझा दे या जला दे,
चिराग मैंने जला के हवा पे छोड़ दिया,
***
उस से बात भी करते तो किस तरह करते,
ये मसला दुआ का था दुआ पे छोड़ दिया,
****
इसीलिए तो कहते हें बेवफा हमको,
हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया.....

Saturday, February 28, 2009

*****इल्जाम*****

****इल्जाम****
वो सारे इल्जाम हम पर लगा के चली गयी,
मरने से पहले मौत का एहसास दे के चली गयी,
हम भी उनके लिए ही मुस्कुराते रहे,
वो भी गम अपनी आँखों में छुपा के चली गयी,
अपना समझ के उनके सारे गम भी उठाते रहे,
वो खुशियों में मुस्कुराने का भी एहसान जता के चली गयी,
मेरे मरने तक इंतज़ार उनके लिए मुश्किल था शायद,
तभी तो वो हमको जिंदा ही दफना के चली गयी......!