Dilon ko jeetne ka shauk

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Saturday, March 28, 2009

दिल टूट कर........


उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है
***
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर,
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है,
***
उसके साथ आज सारी महफिल है ,
अब ज़माना भी उसके साथ है,
***
आज मैं तन्हा हूँ, अब मैं अकेला हूँ,
बस रुसवाईया ही मेरे साथ है...... .

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