Dilon ko jeetne ka shauk

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Sunday, December 11, 2011

इक तर्क-ए-वफ़ा में उसे किस तरह भुला दूँ,
मुझ पर अभी उस शख्स के अहसान बहुत हैं,

भर आयें ना आंखें तो मैं दिल की बात बता दूँ,
अब तुझ से बिछड़ जाने का आघात बहुत है..!



तस्वीर

कल रात ख्वाब में तुम्हारी तस्वीर बना डाली,
वह इतनी अच्छी लगी कि सीने से लगा डाली !

जब हुआ खौफ कि तुम्हें कोई चुरा ना ले कभी,
तब इतना रोये के अपने आंसुओं से मिटा डाली !




ज़िन्दगी


जिन राहों पर इक उमर तेरे साथ गुजारीं,
कुछ रोज़ से वह राहें भी सुनसान बहुत हैं,

मिल जाओ कभी लौट के फिर ना आओ,
कमज़ोर हूँ मैं इस राह में तूफ़ान बहुत हैं,

इक तुम ही नहीं मेरी जुदाई से यूं परेशान,
ये ज़िन्दगी भी तेरी याद में वीरान बहुत हैं !