Dilon ko jeetne ka shauk

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Sunday, December 11, 2011

ज़िन्दगी


जिन राहों पर इक उमर तेरे साथ गुजारीं,
कुछ रोज़ से वह राहें भी सुनसान बहुत हैं,

मिल जाओ कभी लौट के फिर ना आओ,
कमज़ोर हूँ मैं इस राह में तूफ़ान बहुत हैं,

इक तुम ही नहीं मेरी जुदाई से यूं परेशान,
ये ज़िन्दगी भी तेरी याद में वीरान बहुत हैं !


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