"Falak Ko Zidd Hai Jahan Bijliyaan Giraane Ki............. Hume Bhi Zidd Hai, Wahin Pe Aashiyaan Banane Ki........" तुम्हें जब मिले कभी फ़ुर्सत मेरे दिल से बोझ उतार दो, मै बहुत दिनों से उदास हूं मुझे भी कोई शाम उधार दो....!
Saturday, March 28, 2009
Sunday, March 1, 2009
*****अमिट यादों के पल*****
सजा को मेने रजा पे छोड़ दिया,
हर एक काम मेंने खुदा पे छोड़ दिया,
*
वोह मुझे याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था उसी की रजा पे छोड़ दिया,
**
उसी की मर्ज़ी बुझा दे या जला दे,
चिराग मैंने जला के हवा पे छोड़ दिया,
***
उस से बात भी करते तो किस तरह करते,
ये मसला दुआ का था दुआ पे छोड़ दिया,
****
इसीलिए तो कहते हें बेवफा हमको,
हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया.....
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