Dilon ko jeetne ka shauk

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Saturday, January 1, 2011

***सपने***

अपने सारे सपने तोड़ कर बैठे हें,
दिल का अरमान छोड़ कर बैठे है,
***
अब ना कीजिये हमसे वफ़ा की बातें,
अभी तो दिल के टुकड़े जोड़ कर बैठे हें..!

~~अरमान~~

कियूं मेरी हर सांस पर मजबूरियों के ताले हें,
तुम्हारी हर निगाह ने गमगीन स्वप्न पाले हें,
सुबह होने की अब मुझे कोई तम्मना नहीं,
मैंने ज़िन्दगी के अरमान अंधेरों को बेच डाले हें..!
"दिलों को जीतने का शौक"
के सभी साथियों को
नव वर्ष 2011
पर हार्दिक बधाई