Dilon ko jeetne ka shauk

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Monday, October 12, 2009

***तुम्हारी फितरत***


समाझ नुझे खिलौना यूँ मेरा दिल तोडा,

पहले बसाया दिल में अब तनहा कयूं छोड़ा,


अगर खेलना था मुझसे पहले ही बताया होता,

पल भर की खुशी दे के क्यूं गम से नाता जोड़ा,


दिलों को कत्ल करना अगर फितरत थी तुम्हारी,

शायद तुम्हारी ज़िन्दगी में बन गया था रोड़ा,


आज बेवफा कहूं तुम्हें या कह दूँ बदगुमानी,

मैं जब जी रहा था तन्हा क्यूं रास्ता मेरा मोडा,


इतना न इतराओ तुम अपने उस "प्यार" पर,

ख़ुद तुम टूटोगी ऐसे जैसे "नसीब" किसी ने फोड़ा,


तुम रोओगी हर पल तब मुझको याद कर के,

सोचोगी तब यह कि क्यूं "राज़" को मैंने छोड़ा..!!

4 comments:

Munna Paswan said...

tumhari fitrat ..........lajabab rahi ..shukriya

Raj said...

Thanks Munna jee.

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

बहुत खूब सर जी......क्या खूब कही आपने
दर्द छलकर आंसुओं की गंगा बह चली |
जब बेवफाई की बात चली है तो मैं भी एक रुबाई अर्ज़ करना चाहूँगा :

एक लहर जब भी दिल से टकराती है,
न जाने कितनी दर्द भरी यादों को समेट लाती है ||

दिल तो चाहता है, उस बेवफा को भूल जाऊं,
पर ये यादें, रह-रहकर मुझे उसकी याद दिलाती है ||

शायर " अशोक "

Raj said...

Bahut khoob ashok ji hosla afjayee ka shukriya.