Dilon ko jeetne ka shauk

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Saturday, February 28, 2009

*****इल्जाम*****

****इल्जाम****
वो सारे इल्जाम हम पर लगा के चली गयी,
मरने से पहले मौत का एहसास दे के चली गयी,
हम भी उनके लिए ही मुस्कुराते रहे,
वो भी गम अपनी आँखों में छुपा के चली गयी,
अपना समझ के उनके सारे गम भी उठाते रहे,
वो खुशियों में मुस्कुराने का भी एहसान जता के चली गयी,
मेरे मरने तक इंतज़ार उनके लिए मुश्किल था शायद,
तभी तो वो हमको जिंदा ही दफना के चली गयी......!

3 comments:

Raj said...

हकीकत :
तेरे हर नगमे में तेरी मोहबात का पैगाम आया,
तेरे हर ख़त में तेरी चाहत का सलाम आया,

दिल में रही तेरी हसरत मगर लबों पे इनकार आया,
सकूं भरा दिल था मगर आँखों में आंसू का सैलाब आया....

Unknown said...

kya baat hai....

Asha Pandey ojha said...

मेरे मरने तक इंतज़ार उनके लिए मुश्किल था शायद,
तभी तो वो हमको जिंदा ही दफना के चली गयी......!

in do panktiyone se meree aankhe bhar aai ..really too touchy..!