Dilon ko jeetne ka shauk

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Thursday, May 29, 2008

***तेरा "हमसफ़र" कहां है***



ये चिराग बेनज़र है या फ़िर सितार बेज़ुबान है,

अभी तुमसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहां है।


शख्स जिसपे अपना दिल-ओ-जान निसार कर दूं,

वो अगर खफ़ा नहीं है तो फ़िर ज़रूर बदगुमान है।


कभी पा के तुमको खोना कभी खो के तुमको पाना,

ये जन्म-जन्म का रिश्ता तेरे मेरे ही दरमियान है।


मेरे साथ ना चलने वाले तुम्हे क्या मिला सफ़र में,

वही दुख भरी ज़मीन और वही गमों के असमान हैं।


मैं इसी गुमान में वर्षों तक बडा मुतमीन रहा हूं,

तुम्हारा दिल बेतागयुर है मेरा प्यार जीवनदान है।


उन्ही रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे,

मुझे रोक के लोग पूछ्ते हैं तेरा हमसफ़र कहां है।

3 comments:

दुष्टात्मा said...

ज़नाब! ये छापने से के साथ डॉ. बशीर बद्र का नाम भी दे देते तो अच्छा होता.
शेर बशीर के हैं तो तारीफ भी उन्ही की होनी चाहिए.

Priyanka Srivastava said...

खूबसूरती तो कोई ख़ता नहीं.............
पर अदाओं से किसी को सता नहीं.......
दिल कि तरह फूलों को न तोड़,
तुझे अदब कि बातें पता नहीं..............

Uttam said...

Dustatma ji ki baat se main sehmat hoon..

Fir bhi thanx for sharing