Dilon ko jeetne ka shauk

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Sunday, June 8, 2008

***********ख्वाब************


बरसों के बाद देखा एक शख्स दिलरुबा सा,
अब ज़हन में नही है पर नाम था भला सा,
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अल्फाज़ थे के जुगनू आवाज़ के सफर में,
बन जाए जंगलों में जिस तरह रास्ता सा
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खवाब में ख्वाब यादों में याद उसकी ,
नींदों में घुल गया हो जैसे के रतजगा सा ,
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पहले भी लोग आए कितने ही ज़िंदगी में ,
वो हर तरह से लेकिन औरों से था जुदा सा ,

तेवर थे बेरुखी के अंदाज़ दोस्ती का ,
वो अजनबी था लेकिन लगता था आशना सा ,
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कुछ ये के मुद्दतों से हम भी नही थे रोये ,
कुछ ज़हर में बुझा था अहबाब का दिलासा,
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फिर यूं हुआ की सावन आखों में आ बसे थे,
फिर यूं हुआ के जैसे दिल भी था आबला सा,
***
अब सच कहें यारों हम को ख़बर नही थी,
बन जाएगा क़यामत एक वाकया ज़रा सा......

1 comment:

Raj said...

Dil Jab Gum Mein Doob Jata Hai, Toh Dil-E-Bimar Se Buss Aaise Hee AAh Nilkalti Hai....

Priyraj Ki Yeh Aarzoo Hai Ki Aapki Nazm Aapke Dil Ko fir Ek Baar Chuun Jayen,.........


यही बेहतर था तुम को बज़्म में गाने नहीं देती
दिल-ए-दुश्मन को हरगिज़ भी मैं बहलाने नहीं देती,

मुझे मालूम होता जा के तुम वापस न आओगे
तो फिर ऐ बेवफ़ा पहलू से मैं जाने नहीं देती,

अगर यह जान जाती आये हो बस चार ही दिन को
तो अपने दिल में मैं तुम को कभी आने नहीं देती,

अगर एहसास होता तोड़ के इस दिल को जाओगे
तुम्हारी याद अपने दिल पे मैं छाने नहीं देती,

मुझे मालूम होता मय तुम्हें माफ़िक न आयेगी
गम गलत करने को ये पैमाने नहीं देती.......................
(By Priya Ji)