Dilon ko jeetne ka shauk

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Wednesday, June 11, 2008

*******उनके आने की उम्मीद*******

उनके आने की जब कोई उमीद नहीं बाकी,
फ़िर क्यों देहलीज पर शमा जलाए बैठी हैं।
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इक तुम ही नहीं जिसने हमें भुला दिया,
इक वो हम भी हैं जो खुद को भुलाए बैठे हैं।
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तुम्हें भूलने की कोशिश तो बहुत करते हैं हम,
पर याद उस ही की दिलाते हैं यह ही लोग।
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वही लोग तो कहते हैं मुस्कुराते रहो हरदम,
फ़िर जिकर उसका ही छेडकर रुलाते हैं ये लोग।
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पहले तो कहा मुझसे कि ये रास्ता बहुत ठीक है,
हम चले तो हर कदम पे उंगलियाँ उठाते हैं ये लोग।
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बहुत इंतजार किया उनका
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सबने जवाब दिये अपना कलाम किसी ने ना लिखा,
चन्द इशारों में अपना सलाम किसी ने ना लिखा।
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खुद को कोसें कि या गैरों को इल्ज़ाम दें हम,
मुझ को अपना पयाम किसी ने ना लिखा।

1 comment:

Anonymous said...

excellent sir!
i have no words to say anything about you