इक तर्क-ए-वफ़ा में उसे किस तरह भुला दूँ,
मुझ पर अभी उस शख्स के अहसान बहुत हैं,
भर आयें ना आंखें तो मैं दिल की बात बता दूँ,
अब तुझ से बिछड़ जाने का आघात बहुत है..!
"Falak Ko Zidd Hai Jahan Bijliyaan Giraane Ki............. Hume Bhi Zidd Hai, Wahin Pe Aashiyaan Banane Ki........" तुम्हें जब मिले कभी फ़ुर्सत मेरे दिल से बोझ उतार दो, मै बहुत दिनों से उदास हूं मुझे भी कोई शाम उधार दो....!