"Falak Ko Zidd Hai Jahan Bijliyaan Giraane Ki............. Hume Bhi Zidd Hai, Wahin Pe Aashiyaan Banane Ki........" तुम्हें जब मिले कभी फ़ुर्सत मेरे दिल से बोझ उतार दो,
मै बहुत दिनों से उदास हूं मुझे भी कोई शाम उधार दो....!
Dilon ko jeetne ka shauk
Wednesday, April 27, 2011
****अपने पराये****
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी, वरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते,
"प्रियराज" यह मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता, तो फिर अपने पराये हम से पहचाने कहाँ जाते !
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