हाल दिल का उनसे हम कह नहीं सकते,
तड़प इतनी कि उनके बिना रह नहीं सकते,
दिल मांगे प्यार जुबां कहती है आँखों से,
वो दर्द बयान जो हम अब सह नहीं सकते,
आरजू ऐसी जो कभी भी दम तोड़ दे,
मोहब्बत के दरिया फिर बह नहीं सकते,
गिरफ्फ्त में है जान सीने में रुकी आहें,
घुटन भी ऐसी कि अब सांस ले नहीं सकते,
एक ही थी अपनी मंजिल जिसे हम गवां बैठे,
भटकी राहों में अब हम ऐसे जी नहीं सकते..!
तड़प इतनी कि उनके बिना रह नहीं सकते,
दिल मांगे प्यार जुबां कहती है आँखों से,
वो दर्द बयान जो हम अब सह नहीं सकते,
आरजू ऐसी जो कभी भी दम तोड़ दे,
मोहब्बत के दरिया फिर बह नहीं सकते,
गिरफ्फ्त में है जान सीने में रुकी आहें,
घुटन भी ऐसी कि अब सांस ले नहीं सकते,
एक ही थी अपनी मंजिल जिसे हम गवां बैठे,
भटकी राहों में अब हम ऐसे जी नहीं सकते..!
1 comment:
एक ही थी अपनी मंजिल जिसे हम गवां बैठे,
भटकी राहों में अब हम ऐसे जी नहीं सकते..!
बहुत हे दर्द विछोह का प्रेम झलकता है
किस पंक्ति पर ना लिक्खूँ
Post a Comment