जिन राहों पर इक उमर तेरे साथ गुजारीं,
कुछ रोज़ से वह राहें भी सुनसान बहुत हैं,
मिल जाओ कभी लौट के फिर ना आओ,
कमज़ोर हूँ मैं इस राह में तूफ़ान बहुत हैं,
इक तुम ही नहीं मेरी जुदाई से यूं परेशान,
ये ज़िन्दगी भी तेरी याद में वीरान बहुत हैं !
कुछ रोज़ से वह राहें भी सुनसान बहुत हैं,
मिल जाओ कभी लौट के फिर ना आओ,
कमज़ोर हूँ मैं इस राह में तूफ़ान बहुत हैं,
इक तुम ही नहीं मेरी जुदाई से यूं परेशान,
ये ज़िन्दगी भी तेरी याद में वीरान बहुत हैं !
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