Dilon ko jeetne ka shauk

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Sunday, June 1, 2008

*********सब याद आया*********


जब भी प्यार करते किसी को देखा हमने,

ना जाने क्यूं तुम्हारा हमारा मिलना याद आया


वो जंगल वो दरख्त वो रास्ते वो खामोशी,

जहाँ मिले थे हम तुम वो सब याद आया!


हुई थी शुरुआत जो अपने प्यार की,

जाना वो क़समें वह वादे वह सब याद आया!


चांदनी रात मैं वह तन्हा अपना मिलना,

वो रूठना मानना वह सब याद आया!


तन्हाई के दुवार पे जो बैठे थे हम,

दबे पाव तुम्हारा आना वह सब याद आया!


इक मुद्दत बाद हुआ मैखाने से गुज़रना,

सघर वह टुटा हुआ कांच वह जाम वह सब याद आया!

(प्रिया जी से साभार)

1 comment:

Anonymous said...

how romantic is this!
tender feelings,this poetry have.
i salute both of priyaji's and your capacity to express tender feelings and creating romantic synario.