तेरी आंखों की गहराई में आज डूब जाने दे,
जो ना कह सका लफ़्ज़ों में आंखों से बताने दे,
जरूरी नहीं कि सभी ख्वाहिशें पूरी हों मेरी,
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पर हसरत है क्या मेरी अब मुझको जताने दे,
कब शुरु हुआ था आंखे चुराने का सिलसिला
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पहली दफ़ा नज़रों से तेरे मुझे निगाह मिलाने दे,
तेरी पायल की आवाज गूंजती कानों में रात भर,
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कि आज चुपके से मुझे उनके घुंघरू हटाने दे !
इन रेशमी बालों ने सताया है ख्वाबों में मुझे,
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आज हक़ीकत में मुझे ज़रा उनको संवारने दे,
गम सहने की आदत खुद को डाली है हमने,
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दे तेरे गमों को सारे उन्हे मुझमें समाने दे,
खुशियों को मैने संजोया है आज तक तेरे लिये,
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सभी खुशियों को मेरी मुझे तुझ पर लुटाने दे,
माफ़ करना मेरे मौला मुझे हट गया हूं मक्सद से,
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ताकत दे मुझे आज मेरे जज्बात उनको सुनाने दे,
इस पार से उधर का मंज़र दिखता है हसीन बडा,
रहम कर मुझ पर कि मुझे उस जानिब तो आने दे !
2 comments:
simply romantic no more words to say..........
श्री अशीष जी
मैं आपका बहुत ही आभारी हूं और यह ही कह सकता हूं:-
प्यार का इज़्हार ना होगा हमसे,
कुछ ऐसी मजबूरी हैं........
मेरी आंखों में कुछ तो समझो,
उन्हें कहना क्या ज़रूरी है.....
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