कितने प्यार से उसने मुझको भुलाया होगा ,
मेरी यादों ने उसे खूब रुलाया होगा ,
बात-बे-बात आँख उसकी जो छलकी होगी ,
उसने चेहरे को बाजुओं में छुपाया होगा ,
सोचा होगा उसने दिन में कई बार मुझे ,
नाम हथेली पर भी लिख लिख कर मिटाया होगा ,
जहाँ उसने मेरा जीकर सुना होगा किसी से ,
उसकी आंखों में कोई आंसू तो आया होगा ,
रात के बीतने तक नींद न आई होगी तुझे ,
तूने तकिये को भी सीने से लगाया होगा ,
हो के निढाल मेरी यादों से तुने जान ,
मेरी तस्वीर पर सर अपना टिकाया होगा ,
पूछा होगा जो किसी ने तेरी हालत का सबब ,
तूने बातों में खूब उससे छुपाया होगा...!
1 comment:
बात दिन की नही अब रात से डर लगता है,
घर है कांच का मेरा बरसात से डर लगता है।
तुम्हारे तोह्फ़े ने तो बस खून के आंसू ही दिये,
जिन्दगी में अब तुम्हारी सोगात से डर लगता है।
प्यार को छोड के'प्रिय'तुम कोई और बात करो,
अब तो मुझे प्यार की हर बात से डर लगता है।
मेरी ही खातिर ना तुम बदनाम कहीं हो जाओ,
इस लिये तुम से हर मुलाक़ात में डर लगता है।
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