दिल तो कहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझ को ,
दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को कोई अहसास जुदाई का न रहने पाये इस तरह ,
ख़ुद में मेरी जान समा लूँ तुझ को
तू जो रूठे कभी मुझ से मेरे दिल के मालिक,
सारी दुनिया से खफा हो के मना लूँ तुझ को
जब भी देखूं तेरे चेहरे पे उदासी का समान ,
यही चाहूँ के किसी तरह हंसा लूँ तुझ को
तू जो थक हार के लौटे तो यही ख्वाहिश है ,
अपनी पलकों की छाओं में सुला लूँ तुझ को
5 comments:
again very romanitc poetry which take us heaven of love..........
aapka najriya bot hi badiya laga dilo ki bat bolg ke turu sabhi tak pahusane ke liye
aap ne photo ke sath jis tarah kavita ke sath darsaya hai bada hi achha laga
aap ese hi apna dil e haal jahir karte rahe
Best of luck
Himmat bhati
Bahut Shukr-Guzaar hun main Shri Asishsh Ji aur Himmat Bhaiyaa Ji ka| is tarah hi hosla mera badhate rahiyega.
"Priyraj"
Main in shabdon mein aapka Khair_Maqdam karta hun:-
मेरे दिल की किताब को पढना कभी,
सपनों में आके मुझ से मिलना कभी।
मैंने दुनियां सजाई है तुम्हारे लिये,
मेरी नजरों की उम्मीद बनना कभी।
बहुत दूर है सितारों से रोशन जहां,
जरा हम-कदम बनके साथ चलना कभी।
बहुत नाजुक सा सीने में दिल है मेरा,
तुम अन्दाजे मोहब्बत बनके धडकना कभी।
mast hain....
Thanks Pravee.
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