Dilon ko jeetne ka shauk

Hindi Blog Tips

Tuesday, June 17, 2008

**********सफर**********


मैं एक मुसाफ़िर मन्ज़िल की तलाश में भटक रहा हूं,
*
एक तन्हा सा सफ़र है जिस पर मैं चल रह हूं,
मुझे हमसफ़र का पता नही ना मन्ज़िल का ठिकाना
**
एक अजीब सी कश-म-कश में मैं चला जा रहा हूं,
ज़िन्दगी भी अब तो साथ छोडती नज़र आ रही है,
***
फिर भी मैं चलता जा रहा हूं यह कैसा सफ़र है,
जिसका ना कोई ठिकाना बस तन्हा चला जा रहा हूं,
****
कह्ते क्यूं हैं लोग इस वीरान सफ़र को मोहब्बत,
यह मुझ को पता नही फिर भी मैं चला जा रहा हूँ

Saturday, June 14, 2008

*******रहम कर*******


तेरी आंखों की गहराई में आज डूब जाने दे,


जो ना कह सका लफ़्ज़ों में आंखों से बताने दे,
जरूरी नहीं कि सभी ख्वाहिशें पूरी हों मेरी,

***

पर हसरत है क्या मेरी अब मुझको जताने दे,
कब शुरु हुआ था आंखे चुराने का सिलसिला

***

पहली दफ़ा नज़रों से तेरे मुझे निगाह मिलाने दे,
तेरी पायल की आवाज गूंजती कानों में रात भर,

***

कि आज चुपके से मुझे उनके घुंघरू हटाने दे !
इन रेशमी बालों ने सताया है ख्वाबों में मुझे,

***

आज हक़ीकत में मुझे ज़रा उनको संवारने दे,
गम सहने की आदत खुद को डाली है हमने,

***

दे तेरे गमों को सारे उन्हे मुझमें समाने दे,
खुशियों को मैने संजोया है आज तक तेरे लिये,

***

सभी खुशियों को मेरी मुझे तुझ पर लुटाने दे,
माफ़ करना मेरे मौला मुझे हट गया हूं मक्सद से,

***

ताकत दे मुझे आज मेरे जज्बात उनको सुनाने दे,
इस पार से उधर का मंज़र दिखता है हसीन बडा,

रहम कर मुझ पर कि मुझे उस जानिब तो आने दे !

Wednesday, June 11, 2008

********* प्यार की कीमत *********

मैंने उसको सलाम लिख भेजा,
हाल-ए-दिल तमाम लिख भेजा ।
*
मैंने पूछा तेरे होठ कैसे हैं,
उसने एक लफ़्ज "जाम" लिख भेजा।
*
मैंने पूछा तेरे बाल कैसे हैं,
उसने कुदरत का इनाम लिख भेजा।
*
मैंने पूछा कब होगी मुलाकात,
उसने कयामत की शाम लिख भेजा।
*
मैने पूछा इतनी तडफ़ती क्यों हो,
उसने जवानी का इन्तकाम लिख भेजा।
*
मैंने पूछा तेरे खुद-ओ-ख्याल कैसे हैं,
उसने तो हुशन तमाम लिख भेजा।
*
मैंने पूछा तुझे नफ़रत किस से ,
ऐ - खुदा उसने मेरा ही नाम लिख भेजा
***
जलने के अलावा चारा नहीं
*
गरमी-ए-हसरत के नाकाम से जलते हैं,
हम चिरागों की तरह हर शाम से जलते हैं
*
जब आता है नाम तेरा मेरे नाम के साथ,
न जाने कितने लोग हमारे नाम से जलते हैं

***********ज़ख्म***********

बस इतनी सी इनायत मुझ पे एक बार कीजिए,
कभी आ के मेरे ज़ख्मों का दीदार कीजिये।
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हो जायें बेगाने आप शौक से सनम,
आपके हैं आपके रहेंगे एतबार कीजिये।
***
पढने वाले ही डर जायें देख कर इसे,
किताब-ए-दिल को इतना ना दागदार कीजिये।
***
ना मजबूर कीजिये कि मैं उनको भूल जाऊं,
मुझे मेरी वफ़ाओं का ना गुनाहगार कीजिये।
***
इन जलते दीयों को देख कर न मुस्कुराइये,
जरा हवाओं के चलने का इन्तज़ार कीजिये।
***
गुलाबों से मुहब्बत है जिन्हें उनको खबर कर दो,
चुभा करते वो कांटे भी बहुत अरमान रखते हैं
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बहारों के ही बस आशिक नहीं ये जान लो,
ख़िज़ाँ के वास्ते भी दिल में हम सम्मान रखते हैं

*******उनके आने की उम्मीद*******

उनके आने की जब कोई उमीद नहीं बाकी,
फ़िर क्यों देहलीज पर शमा जलाए बैठी हैं।
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इक तुम ही नहीं जिसने हमें भुला दिया,
इक वो हम भी हैं जो खुद को भुलाए बैठे हैं।
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तुम्हें भूलने की कोशिश तो बहुत करते हैं हम,
पर याद उस ही की दिलाते हैं यह ही लोग।
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वही लोग तो कहते हैं मुस्कुराते रहो हरदम,
फ़िर जिकर उसका ही छेडकर रुलाते हैं ये लोग।
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पहले तो कहा मुझसे कि ये रास्ता बहुत ठीक है,
हम चले तो हर कदम पे उंगलियाँ उठाते हैं ये लोग।
***
बहुत इंतजार किया उनका
***
सबने जवाब दिये अपना कलाम किसी ने ना लिखा,
चन्द इशारों में अपना सलाम किसी ने ना लिखा।
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खुद को कोसें कि या गैरों को इल्ज़ाम दें हम,
मुझ को अपना पयाम किसी ने ना लिखा।

Sunday, June 8, 2008

***********ख्वाब************


बरसों के बाद देखा एक शख्स दिलरुबा सा,
अब ज़हन में नही है पर नाम था भला सा,
***
अल्फाज़ थे के जुगनू आवाज़ के सफर में,
बन जाए जंगलों में जिस तरह रास्ता सा
***
खवाब में ख्वाब यादों में याद उसकी ,
नींदों में घुल गया हो जैसे के रतजगा सा ,
***
पहले भी लोग आए कितने ही ज़िंदगी में ,
वो हर तरह से लेकिन औरों से था जुदा सा ,

तेवर थे बेरुखी के अंदाज़ दोस्ती का ,
वो अजनबी था लेकिन लगता था आशना सा ,
***
कुछ ये के मुद्दतों से हम भी नही थे रोये ,
कुछ ज़हर में बुझा था अहबाब का दिलासा,
***
फिर यूं हुआ की सावन आखों में आ बसे थे,
फिर यूं हुआ के जैसे दिल भी था आबला सा,
***
अब सच कहें यारों हम को ख़बर नही थी,
बन जाएगा क़यामत एक वाकया ज़रा सा......

Saturday, June 7, 2008

*****हमसफ़र ना सही*****

"गुडिया"
हमसफ़र न सही दोस्त तो हो न
हाँ कहकर देदो मेरे दिल को सकूं
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टीस चल रही है रगों में घुन
जालिम ना करवाओ अब इंतज़ार
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कह्दो के किया है तुमने भी कभी मुझसे प्यार
हमसफ़र ना सही हवा बनकर तो छू जाओ
+++
तुम क्या जानो कितना मुश्किल है आंसू को छुपाना
मुस्कुरा के सब को एक झूठ बताना
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तेरे ही खातिर लिया है यह क़दम
एक बार कह दो के हम भी तुम्हारे थे कभी सनम
+++
हमसफ़र ना सही याद बनकर जिंदगी में रह जाओ
दिल तुमने तोडा नहीं लेकिन फिर भी टूट ही गया
+++
जैसे कोई अपना हमेशा के लिए रूठ गया
वापिस तो अब कभी आने नहीं वह हसीं पल
+++
एक बार कह दो के तुम भी कभी याद करोगे कल
हमसफ़र ना सही दोस्त बन कर साथ देना
+++
दोस्त ना सही अजनबी बनकर ही बात करना
माँ जैसे प्यार के गीत से ही..................करना

*********तन्हाई*********


जिधर भी देखता हूँ तन्हाई नज़र आती है
आपके इंतज़ार में हर शाम गुज़र जाती है

मैं कैसे करूँ गिला दिल के ज़ख्मों से हुज़ूर
आंसू छलकते हैं मेरी सूरत निखर जाती है

तोड़ दिए हैं मैंने अपने घर के सारे आईने
मेरी रूह मेरा ही चेहरा देख के डर जाती है

रो के हलके हो लेते हैं ज़रा से तेरी याद में
ज़रा सी ना-मुरादों की तबियात सुधर जाती है

असर करती यकीनन गर छू जाती उनके दिल को
अफ़सोस के आह मेरी फिजाओं में बिखर जाती है

जब भी जिकर आता है तेरे नाम का
शाम की पी हुई सर-ऐ-शाम ही उतर जाती है

कभी आ के मेरे ज़ख्मों से मुकाबला तो कर
ऐ खुशी तू मुहँ छुपा के किधर जाती है

तुझे इन्ही काँटों पे चल के जाना है
उनके घर को बस यही एक रहगुज़र जाती है .......

Thursday, June 5, 2008

*******जमाने से छुपा लूँ*******


दिल तो कहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझ को ,
दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को

कोई अहसास जुदाई का न रहने पाये इस तरह ,
ख़ुद में मेरी जान समा लूँ तुझ को

तू जो रूठे कभी मुझ से मेरे दिल के मालिक,
सारी दुनिया से खफा हो के मना लूँ तुझ को

जब भी देखूं तेरे चेहरे पे उदासी का समान ,
यही चाहूँ के किसी तरह हंसा लूँ तुझ को

तू जो थक हार के लौटे तो यही ख्वाहिश है ,
अपनी पलकों की छाओं में सुला लूँ तुझ को

Wednesday, June 4, 2008

*******नजर लग गई*******


कभी वह सिर्फ़ हम पर ही मरती थी,
बे पनाह मुझे मोहब्बत किया करती थी।
***
जाने किस की नज़र लग गई उस रिश्ते को,
वह फ़िर तो अब मेरे नाम से ही डरती थी।
***
बेवफ़ा कहें उसे या फ़िर वक़्त की मेहरबानी,
वह चली गई जो हर वक़्त दिल में रहती थी।
***
हमारा क्या है यह ज़िन्दगी हम तो गुजार लेंगे,
यह दिल तो बस उनके लिये ही फ़िक्र करता था।
***
वह मासूम नहीं बीमार-ए-दिल से मज़बूर थी,
ज़ो शायद हमसे बेह्तर की तलाश करती थी।
***
यह तो वक़्त बतायेगा किसकी मंज़िल कहां है,
इस तरह वह शख्स शायद हक़ीक़त से डरती थी।
***
इस वीरानी में भुलाये से भी नहीं भूलते हैं वह दिन,
कोई जब "प्रियराज" को अपनी ज़ान कहा करती थी।

(प्रिया जी से साभार)

Sunday, June 1, 2008

*******सबब प्यार का*******


कितने प्यार से उसने मुझको भुलाया होगा ,
मेरी यादों ने उसे खूब रुलाया होगा ,

बात-बे-बात आँख उसकी जो छलकी होगी ,
उसने चेहरे को बाजुओं में छुपाया होगा ,

सोचा होगा उसने दिन में कई बार मुझे ,
नाम हथेली पर भी लिख लिख कर मिटाया होगा ,

जहाँ उसने मेरा जीकर सुना होगा किसी से ,
उसकी आंखों में कोई आंसू तो आया होगा ,

रात के बीतने तक नींद न आई होगी तुझे ,
तूने तकिये को भी सीने से लगाया होगा ,

हो के निढाल मेरी यादों से तुने जान ,
मेरी तस्वीर पर सर अपना टिकाया होगा ,

पूछा होगा जो किसी ने तेरी हालत का सबब ,
तूने बातों में खूब उससे छुपाया होगा...!

*********सब याद आया*********


जब भी प्यार करते किसी को देखा हमने,

ना जाने क्यूं तुम्हारा हमारा मिलना याद आया


वो जंगल वो दरख्त वो रास्ते वो खामोशी,

जहाँ मिले थे हम तुम वो सब याद आया!


हुई थी शुरुआत जो अपने प्यार की,

जाना वो क़समें वह वादे वह सब याद आया!


चांदनी रात मैं वह तन्हा अपना मिलना,

वो रूठना मानना वह सब याद आया!


तन्हाई के दुवार पे जो बैठे थे हम,

दबे पाव तुम्हारा आना वह सब याद आया!


इक मुद्दत बाद हुआ मैखाने से गुज़रना,

सघर वह टुटा हुआ कांच वह जाम वह सब याद आया!

(प्रिया जी से साभार)