मेरी सादगी ही मेरा जुर्म है कोई और मेरी खता नही,
मैंने तो चाहा था सदा तुमको यह भी मेरी खता नहीं,
जाने कैसी अब हवा चली है रही दोस्ती में वफ़ा नहीं,
यहाँ जल गया मेरा आशियाना अभी बादलों को पता नहीं,
तेरे दर पर दस्तक दे सकूं यह हक़ तुमने दिया नहीं,
मैं राही हूँ राहें उम्मीद का मुझे मंजिलों का पता नहीं,
बेबस हूँ जहाँ में इस कदर जैसे इस जहाँ में मेरा कोई नही,
मेरी सादगी मेरा जुर्म है कोई और मेरी खता नहीं....!
14 comments:
rachanaa bahut badhiyaa hai sir. dil ko jeetane baalee sach mai
badhaai
Shukriya Sharma ji
just wanna say one word, touching........
Thank you Mandeep ji.
बहुत खूब सर जी .....
तेरे दर पर दस्तक दे सकूं यह हक़ तुमने दिया नहीं,
मैं राही हूँ राहें उम्मीद का मुझे मंजिलों का पता नहीं
बहुत ही बेहतरीन शेर है ये ......
Thanks Ashok ji
very nice ji bhut mast hai
Thanks Prihar Sahib.
roop sajja aur rchna dono hi ..uttam
Kamlesh ji hosla afjayee ke liye shukriya !
mere saadgi hi mera jurm hai heart touching lines
Pooja ji shukriya aapka !!
BahutUmdaRachna Hai
Thanks Kishore ji.
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