मत देखो सपने किसी के लिये इस कदर,
ज़ब टूट जाये तो फिर इसका दुख न हो,
मत चाहो दिल से कभी किसी को इस कदर,
वह रूठ जाये तो मनाने वाला कोई ना हो,
न मांगो किसी को इस कदर दुआओं में,
वो न मिले तो रुसवायी के सिवा कुछ न हो,
कभी देखो न किसी को ऐसी नज़रों से,
ज़ब वो जाये तो देखने वाली कोई नज़र न हो,
ना बसाओ किसी को अपने दिल की नगरी में,
वो रुख्सत हो तो दिल की दुनियां आबाद ना.....हो
4 comments:
raj bhai aap to khoob likhte hain
Raj Ji,
Specially for You.........
वो एक हसीन लम्हा था, जब आपसे रूबरू हो चले थे ।
निगाहों के टकराते ही हजारों फूल खिले थे ।
पर आलम ये है कि ये एक हसीन ख्वाब है,
जो गले से नीचे न उतरे, साकी, ये वो शराब है ।
Nacheez
marevellous sir!
no words,i have with that i can write about your poetry.
Aap ka to jawaab nahi Sir,
Apne to mashwara diya magar,
Na dekhe sapne to kya kare
Bichad jaayein apne to kya karein,
Kaise na chaahe dil se kisi ko,
Dil me basaane ko majboor kiya aapne to kya karein..
(genuinely uttams)
Blogger's ke samaaj mein Swagat hai sir Aap ka.
Likhte rahiye aur humein tareef ka mauka dete rahiye..
Lots of love
Uttam
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