जो बोझ मुझे अकेले ढोने नहीं देती,
मैं हूँ कि बहाता हूँ उसकी याद में आंसू,
और वो है कि आंखों को पिरोने नहीं देती,
वो चेहरा अजब है जिसे पाकर मैं अभी तक,
खोना भी चाहूँ तो वो खोने नहीं देती,
थामे है लहरों की हुश्न-ऐ-बाग़ कोई तो,
साहिल को समंदर में डुबोने भी नही देती
"प्रियराज"
1 comment:
Dear Raj Ji,
Bahut Khooob......
हमसे पूछो मोहब्बत किस पाक अहसास का नाम है,
जो छलके और छलकाए दीवानों को, ये वो बेमिसाल जाम है ।
सुबह के वक्त की लाली है ये,
और कभी न ढलने वाली हसीन शाम है ।
Nacheez...........
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