Dilon ko jeetne ka shauk

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Sunday, January 22, 2012

बदनसीबी***



फरेब था आँखों में आशिकी समझ बैठे,
मौत को ही अपनी ज़िन्दगी समझ बैठे,

वक़्त का मजाक था या बदनसीबी हमारी,
उनकी दो बातों को हम चाहत समझ बैठे !

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