Dilon ko jeetne ka shauk

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Thursday, January 19, 2012

मेरी हूर




तू मेरी हूर होती मैं भी होता तेरा खुदा,
जो मेरा पैमाना तू ना तोडती हर शाम,

मेरे हाथ दुआ को उठ भी नहीं पाए कि,
खुद हाथ मेरे वो जाम आ गया हर शाम,

तेरे वास्ते हम भी ताजमहल बनवा देते,
गर मेरे मज़ार पे आ गयी होती हर शाम !

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