चाँद अपना सफ़र ख़तम करता रहा,
रात भर आसमान यूं पिघलता रहा,
दिलों में याद का नश्तर चुभते रहे,
दर्द बन कर शमां दिल में जलता रहा,
वो जो दिल से हमें भुलाये बैठे थे,
दिल उनसे मिलने को मचलता रहा,
आंसू पलकों से ना छलका कभी,
दर्द वो चुपके से दिल में पलता रहा,
रोज़ आ कर शबनम रोती रही रात भर,
मेरी तन्हाइयों का सफ़र यूं ही चलता रहा..!
7 comments:
खूबसूरत प्रस्तुति ।
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
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इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
श्री अजय जी,
आपका आभार ! इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिएगा !!
wow kitna accha likhte hai aap
शुक्रिया....पूजा !
bht pyari kavita hain...aapki kalam soft hain......bht soft aur pyara likhte hain aap......
Bahut shukriya Dimple ji.
bahut khoob
maza aa gaya
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