आंखें भी वोही हैं दरीचा भी वोही है
और मन के आँगन में उतरता भी वोही है
जिसने मेरे जज्बों की सदाक़त को ना जाना,
अब मेरी रफाकात को तरसता भी वोही है ,
इस दिल के खराबे से गुज़र किस का हुआ है,
आँखें भी वोही है होंट भी लहजा भी वोही है
जो कुछ भी कहा था मेरी तनहाइयों ने मुझ से,
इस शहर की दीवार पे लिखा भी वोही है,
वोह जिस ने दिए मुझ को मुहब्बत के खजाने,
बादल की तरह आँख से बरसा भी वोही है,
साथ निभाने की कसमें खाई थी जिसने,
उम्र भर का गम दे के गया भी वोही है......!
13 comments:
Bahut Khoob...
Raj Ji.......
Dard Ko Shabdon Mein Pirone Ka Huunrr Bahut Saff Dikhayee De Raha Hai...Issme........
Sirf Itna hee Kehna Chahengi yeh Nacheez...
जिन्दगी है नादान इस लिये चुप हूं,
दर्द ही दर्द सुबह शाम इस लिये चुप हूं,
कह ना दूं इस ज़माने से दस्तां अपनी,
उसमे आयेगा तेरा नाम इस लिये चुप हूं ।
प्रियंका जी
बहुत शुक्र्गुज़ार हूं आपका कि आप दर्द को समझ पाईं। आपने जो इन दो लाईनों में दर्द का सार कह दिया इस लिये मैं खुश हूं।
"कह ना दूं इस ज़माने से दस्तां अपनी,
उसमे आयेगा तेरा नाम इस लिये चुप हूं।"
मगर दर्द तो है उमर भर का ही ना:
कहने को तो मेरे साथ हैं वो पर मुझको यकीन नहीं,
तरसते हैं जिस प्यार को लोग हमने खो दिया कहीं,
कसम है तुम्हे मेरी तुम कभी यहां लौट के ना आना,
जो मेरी थी ही नहीं उन के बगैर मैं तन्हा रह गया हूं..
जिसने मेरे जज्बों की सदाक़त को ना जाना,
अब मेरी रफाकात को तरसता भी वोही है ,
dear sir
aapka hunar qabile taareef hai , aur ye ghazal to abhi tak ki sabse umda ghazal hai .........Mai.N to aapka qayal ho gaya hoo.N
anil
जिन्दगी देख तुझे हम कितना प्यार करते हैं,
मौत की आखिरी हिचकी तक इन्तज़ार करते हैं।
bahut ahsas bhara likha hai apne...
ajhan dard ho wahan gahrayee na ho ye to kalam kar hi anhi skati..yahan ki gahrayee napi to bahut nikli...ahsas bhara padne mein acha lagta hai...magar dua hai dard se rahat mile
सखी जी
बहुत शुक्रिया आप द्वारा हौसला अफ़ज़ाई के लिये।
यह मैने अपनी स्वर्गीय पत्नि की याद ने जब बहुत सताया तो लिखी है फोटो भी उन्हीं की है जब हम इंग्लैण्ड (यू.के.) में थे ।
जिन्दगी है नादान इस लिये चुप हूं,
दर्द ही दर्द सुबह शाम इस लिये चुप हूं,
कह ना दूं इस ज़माने से दस्तां अपनी,
उसमे आयेगा तेरा नाम इस लिये चुप हूं ।
dard sahna humko aata hai, kaise ruswa hum unko, jo dil mein baste hain. isliye toh yaaro hum chup rahte hain
bahut zabardast ghazal hai dard ko ache se pesh kiya hai, ahsaas ki ghahrayi bahut dikhayi di.aapko padhna acha laga.
Nira Bahin,
Hatsoff for you!
Darad ko to Darad hi jaane,
Bedarad kiu Darad pahchane,
Bahu hi Umda Likha hai Sir aapne..
Bahut Umda..
Pyar
Uttam
ज़िंदगी के मोड पर जो था मिला एक दिन,
जुड जाएगा वो मुहब्बत का सिलसिला एक दिन,
मुहब्बत पर अपनी ए दोस्त भरोसा रखिये,
खत्म हो जाएगा दिलों का फ़ासला एक दिन,
हसरते विसाल लेकर राह-ए-वफ़ा में बैटॆ हो,
मिलेगा तुम्हें इस इंतज़ार का सिला एक दिन...
kkaun saath nibhata hai
anjan vishvas kar jata hai
gam men doob phir jata hai
Raj ji,
dil ki gahraayi se nikale shabd aapne kaagaz par utaar diye hain.
वोह जिस ने दिए मुझ को मुहब्बत के खजाने, बादल की तरह आँख से बरसा भी वोही है,
apane jazbaaton ko sundar shabdon men piroya hai.
dil tak pahunchane waali rachna.
badhai
bahut hi khubsurat sirjee
आंखें भी वोही हैं दरीचा भी वोही है
और मन के आँगन में उतरता भी वोही है
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