Dilon ko jeetne ka shauk

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Saturday, September 14, 2013

झोंका हवा का !


बिखरते टूटते लम्हों को अपना समसफ़र जाना, 
इस राह में था आख़िर हमें ख़ुद भी बिखर जाना, 

हवा के कंधे पर बादल के टुकड़े की तरह हम हैं, 
किसी झोंके से पूछेंगे कि है हमको किधर जाना।



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