कह गया एक हसीन यह रात मेरे ख्वाबो में आकर,
करता हूँ मोहब्बत तुझसे और सिर्फ मरता हूँ तुझपे,
आइना-ए-दिल में तस्वीर रहती है तेरी ही ए-हमनशीं,
जो सोचता हूँ ख़त लिखने की ग़ज़ल लिख जाता हूँ तुझपे,
आँखें खुलते ही कहीं भूल ना जाना मुझको ए-पर्दानशीं,
मैं वो सावन की बारिश हूँ जो बरसूँगा सिर्फ तुझपे,
जो आ गया सामने कभी तो कैसे पहचानेगी तू मुझ को,
इसलिए बदन की खुसबू अपनी छोडे जा रहा हूँ तुझपे,
अपने सीने से लगाए रखना आँखों में बसाये रखना,
ना तोड़ना कभी दिल मेरा इतना एहसान करना मुझपे,
आज ख़्वाबों में आया हूँ कल जिंदगी में भी आऊंगा,
मैं हूँ सिर्फ तेरा दिल-ओ-जान जो लुटा बैठा हूँ तुझपे,
आज जा रहा हूँ सिर्फ इज़हार करके इकरार के इंतज़ार में,
कल रात फिर आ कर मोहब्बत अपनी बिखराऊंगा मैं तुझपे...
1 comment:
तेरी याद की चादर बिछा कर बैठ जाते हें,
शाम होते ही दिल को जला कर बैठ जाते हें,
तुम जब भी नहीं आते हो अपने वादों पर,
हम आँख में आंसू सजा कर बैठ जाते हें....
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