स्वर्गीय श्रीमती शकुन्तला जी
(14 नवम्बर, 2005)
इस झील सी नीली आँखों में, एक खवाब बहुत बर्बाद हुआ,
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ये हिजर हवा भी दुश्मन है, उस नाम के सारे रंगों की,
वोह नाम जो मेरे होंटों पे, खुशबू की तरह आबाद हुआ,
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इस शहर में कितने चेहरे थे, कुछ याद नहीं सब भूल गए,
इस शहर में कितने चेहरे थे, कुछ याद नहीं सब भूल गए,
एक शक्स किताबों जैसा था, वोह शख्स ज़ुबानी याद हुआ',
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वोह अपने शहर की गलियां थीं, जिन में मैं नाचता गाता था,
वोह अपने शहर की गलियां थीं, जिन में मैं नाचता गाता था,
अब इससे भी फरक नहीं पड़ता, न-शाद हुआ के सहाद हुआ,
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बे नाम सतायाश रहता था, इन गहरी सांवली आँखों में,
ऐसा तो कभी सोचा ही न था, दिल जितना अब बे-दर्द हुआ......!!
9 comments:
इससे ज़्यादा कुछ नहीं कह सकता कि मैं रो पड़ा!
zindgi ko kaha kaun samajh paya ki aisa kyu ho jata, ki zindgi jina yun mushkil ho jata aur sapne toot jate. behad maarmik rachna hai, ab kya kahun, beshabd hun, shubhkamnayen.
bahuthe acche
haal-e-dil me jo raaz tha aaj wo saaz ban gaya.
ye kamal tha neeli aankhon ka k sab bayaan ho gaya
dilon ko jeetna hai haar k bhi jeet hasil karna,
ye dilwaalon k shehar hai jahan dil ki baat dil he jaane
zindika sach
I am much tahankful to you all for giving preceious comments by Mr. Amit K Sagar, Mrs. Jenny Shabnam, Ramaji & Miss Meghna. Yah hi aapka sneh mujhe jeene ki raah dikhayega.
Swargiy Shakunji !
Asrupoorit Sradhanji....!!
14.11.2005 ko Death ho jane ke baad, Aaj ke din hi (17.11.2005) ko New Castle England UK me 04 PM par aapka Furnal hua tha. Jisme aapka Ladla Beta Guddu bhi mere saath tha. Shareer Jarur aapka Panchtanra me vilin ho gaya par aapki Aatma mere sath thi, hai aur rahegi.
किशोर जी
किस से कहें और कौन सुने, जो हाल तुम्हारे बाद हुआ,
इस झील सी नीली आँखों में, एक खवाब बहुत बर्बाद हुआ,
आपकी लिखित श्रद्धांजलि पढ़ी बार बार पढ़ी
यही मुख से निकला
यादें दिल के इरादे आजमाती हैं
सपनो के परदे निगाहों से हटाती हैं
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