फिर कहीं दूर से इक बार सदा दो मुझको,
मेरी तन्हाई का अहसास दिला दो मुझको.
तुम तो चाँद हो तुम्हे मेरी ज़रुरत क्या है,
मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको !
मेरी तन्हाई का अहसास दिला दो मुझको.
तुम तो चाँद हो तुम्हे मेरी ज़रुरत क्या है,
मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको !